Herbal Bheemal Shampoo – Atmanirbhar Uttarakhand ki pahal

हर्बल भीमल शैम्पू -आत्मनिर्भर उत्तराखण्ड़ की पहल, संजय बिष्ट, ग्राम चमाली, विकासखण्ड, एकेश्वर, जिला- पौड़ी गढ़वाल

भीमल हिमालयी  क्षेत्र में पाया जाने वाला एक वृक्ष है, इसे आम भाषा में भिकुआ, भ्यूल एवं भिक्कू भी कहा जाता है, इसका वानस्पतिक नाम  ग्रेविया ऑप्टिवा है तथा मालवेसी परिवार से सम्बन्ध रखता है, 10-12 मीटर ऊँचाई वाले इस पेड़ की पत्तियां सर्दियों के मौसम में हरी भरी रहती हैं तथा गर्मियों में सूख कर झड़ जाती हैं, इस वृक्ष की पत्तियों को आमतौर पर गाय, भैस एवं बकरियों को चारे क रूप में दिया जाता है, क्योंकि यह दूध को गाड़ा करता है तथा दूध की उत्पादकता बढ़ाने में भी मदद करता है, इसके अलावा इसमें कई औषधीय गुण भी होते हैं, कई गाँवों में आज भी इसका उपयोग साबुन के रूप में किया जाता है, इसके अलावा यह बालों के लिए भी बहुत गुणकारी माना जाता है, इससे बाल काले, घने तथा मजबूत होते हैं, इसके अतिरिक्त इसकी छाल के रेशों का उपयोग रस्सी बनाने के लिए  किया जाता है जो की बहुत मजबूत होती हैं, अनेक गुण वाले इस पेड़ को उत्तराखंड में ‘वंडर ट्री’ के नाम से जाना  जाता है|

संजय बिष्ट जी जो कि ग्राम चमाली पौड़ी गढ़वाल से सम्बन्ध रखते हैं एक सफल उद्यमी के रूप में उभर रहे हैं| वे बताते हैं कि वह भीमल जो कि हमारे पहाड़ी क्षेत्र में पाया जाने वाला एक आम पेड़ है उससे बड़े पैमाने में शैम्पू बनाने का कार्य करते हैं जिसे बाजार में बहुत पसंद किया जा रहा है|

पूर्व स्थिति

संजय जी बताते हैं कि वह पहले आर्मी में नौकरी किया करते थे तथा सन 2014 में वह आर्मी से बतौर नायक सेवानिर्वित हुए, जिसके बाद 2015 में उन्होने अपने भाई  श्री अजय बिष्ट जी के साथ कोटद्वार में कोचिंग इंस्टिट्यूट शुरू किया, जिसमें की वह विद्यार्थियों को प्रतियोगी परीक्षों की तैयारी कराया करते थे, परन्तु 2020-21 में कोरोना के दौरान लॉकडाउन होने के कारण उनका यह काम पुर्णतः बंद हो गया जिस कारण वह बहुत परेशान हो गये थे, फिर उनके मन में भीमल से शैम्पू बनाने का विचार आया, क्योंकि भीमल में झाग अच्छी मात्रा में आसानी से बन जाता है तथा गाँवों में रहने वाले लोग पहले कपड़े धोने तथा नहाने आदि के लिए साबुन की जगह इसी का उपयोग किया करते थे| 

 वर्तमान स्थिति

संजय जी बताते हैं कि वह वर्तमान में भीमल के रेशों का उपयोग कर शैम्पू बनाते हैं, उन्होंने इस कार्य को कोरोना कल में ही शुरू किया, पहले घर पर ही छोटे स्तर पर शैम्पू बनाने का प्रयाश किया गया तथा दोस्त व  रिश्तेदारों को इसे उपयोग करने को दिया गया जब उन्हें यह उत्पाद अच्छा  लगा तब जाकर  इसे बाजार में लाया गया, इस शैम्पू को बनाने के लिए वह मुख्यतः भीमल का ही उपयोग करते हैं तथा इसके अतिरिक्त वह इसमें आंवला, रीठा आदि का भी उपयोग करते  है, वे बताते हैं कि पहले वह भीमल के रेशों  का पाउडर बनाते हैं तथा फिर उससे शैम्पू तैयार किया जाता है, वह एक महीने में 2-3 हजार लीटर शैम्पू का उत्पादन करते हैं, क्योंकि उनके शैम्पू की मांग बाजार दिन प्रति दिन बढ़ती ही जा रही है |

उनका कहना हैं कि उनके शैम्पू को उत्तराखंड के अलावा दिल्ली, मुंबई तथा  पंजाब आदि शहरों  में भी काफी पसंद किया जा रहा हैं उनका यह हर्बल भीमल  शैम्पू अमेज़न, फ्लिप्कार्ट, मीशो आदि ऑनलाइन  प्लेटफार्म पर भी उपलब्ध है| इससे वह न  केवल मुनाफा कमाते हैं बल्कि 300 से अधिक स्थानीय महिलाओं  को रोजगार भी दे रहे हैं, वे बताते हैं कि वह 300  महिलाओं से भीमल के रेशों को जो कि मुख्य कच्चा माल है उसे 40 रूपये प्रति किलो की दर से खरीदते हैं तथा 15 लोग उनकी उत्पादन इकाई में कार्यरत  हैं|

संजय जी बताते हैं कि वह इससे निवेश की गयी राशि का 40%  शुद्ध लाभ कमा लेते हैं|

 चुनौतियाँ  

संजय जी का कहना है कि जब उन्होंने इस कार्य को शुरू किया तो उन्हें सबसे अधिक लोगों की नकरात्मक बातों का सामना करना पड़ा, पर उन्होंने नकरात्मक बातों पर ध्यान न देते हुए अपने कार्य पर ध्यान दिया और आज उनकी सफलता के चर्चे पूरे क्षेत्र में हैं, उनका कहना है जब हम आगे बढ़ रहे होते हैं तो बहुत से लोग हमारे मनोबल को कम करने की कोशिश करते हैं, पर हमें ऐसे लोगों की बातों को अनसुना कर अपने लक्ष्य पर ध्यान देना चाहिए|

सरकार से प्राप्त सुविधाएँ 

उनका कहना है कि जब उन्होंने शैम्पू बनाने का कार्य  शुरू किया था तो उन्हें  सरकार द्वरा कोई मदद प्राप्त नहीं हुयी किन्तु अब उन्हें प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम के अन्तर्गत 8 लाख के लोन पर 15-35 फीसदी सब्सिडी प्राप्त हुई है

अग्रिम योजना

संजय जी बताते हैं कि वह अपनी उत्पादन इकाई में दो मशीनें और खरीदने वाले हैं जिससे कि उत्पादन अधिक मात्रा में किया जा सके, इसके अतिरिक्त वह पहाड़ी मसाला एवं पहाड़ी जलजीरा का उत्पादन भी शुरू कर चुके हैं |

 वह अब इसे भी भीमल हर्बल शैम्पू की तरह बड़े स्तर पर करने का विचार कर रहे हैं |

युवाओं के लिए सन्देश

संजय जी का कहना है कि राज्य के युवाओं के लिए यह सन्देश है कि हमें अपने राज्य तथा अपने देश को आत्मनिर्भर बनाने की कोशिश करनी चाहिए, उनका कहना है आजकल के युवा नौकरियों के पीछे भाग रहे हैं अच्छे से अच्छा प्रोफेशनल कोर्स करने के बाद भी उनको 20-30 हजार की औसत आय मिलती है जिससे शहर में बस उनका रहना खाना हो पाता है, इसलिए उनका कहना हैं कि युवाओं को उद्यम करना चाहियें जिससे की वह अच्छा लाभ भी ले सकते हैं तथा अन्य लोगों के लिए रोजगार का शिलान्याश कर सकते हैं|

हमें अपने राज्य में ही रहकर कार्य करना चाहिए क्योंकि उतराखंड में अनेक प्रकार के औषधीय पौधों की प्रजातियाँ पाई जाती  हैं, हम उनका उपयोग कर कई उपयोगी उत्पाद बना सकते हैं तथा हमारे इस एक कदम से हमारे उत्तराखंड को एक नई पहचान मिल सकती है |

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